लीम चउरा के पथरा बिकट चिक्कन
खड़भूसरा रहिस होगे कइसे बड़ चिक्कन
ओ तो जानत हवय सबके अन्तर मन।
पंच-पटइल बइठ नियाव करिस
सुन्ता सुम्मत के नवा रद्दा गढ़िस।
उधो-माधो के भाग ह खुलिस
सरकारी योजना म साहेब दूनों के नाव लिखिस।
मंगलू बुधियारिन के भांवर परिस
इही मेर दूनो झन के पिरित सिरजिस।
बिहने ले सांझ होथे गजब तमासा
भौंरा-बांटी, बिल्लस तास-तीरी पासा।
पुनु रतिहा दिसना दिसाथे
धरके कलरकइहा ल दूर फुरसूद सोथे।
अनगइहां मन आके इही मेर थिराथे
सगा सोदर के पता ठिकाना ल पाथे।
गांव भरके मनखे ल कोरा म बिठाथे
सब के करू कसा ल अंतस म पचाथे।
अनिल कुमार भतपहरी
श्री सुकाल सदन
कमल कालोनी
बलौदाबाजार
bahut hi bhav pravana kavita hai aisi hi rachanao se chhatisgarhi sahitya samridha hoga rachana kar ko hardik bhadhai